उस परमात्मा के सिवा कोई भी हमें सच्चा प्यार
नहीं कर सकता,
बाकी सब रिश्ते केवल लेन - देन पर निर्भर करते है,
समय के साथ हर इन्सान को इस बात का एहसास हो जाता है,
केवल परमात्मा का प्यार अंत तक हमारा साथ देता है,
चाहे हम उस से प्यार करे या नहीं |
जो दूसरों की
आँखों में धुल झोंकने में चतुर होते हैं, वे
समझते हैं कि हम इस तरह से
भगवान को भी धोखा
दे सकेंगे, परन्तु सर्वान्तर्यामी सर्वज्ञ भगवान
के
सम्बन्ध में ऐसा सोचना उनका निरा पागलपन है ।
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