श्री साईं सच्चरित्र संदेश

"तुम्हें अपने शुभ अशुभ कर्मो का फल अवश्य ही भोगना चाहिए I यदि भोग अपूर्ण रह गया तो पुनजन्म धारण करना पड़ेगा, इसलिये मृत्यु से यह श्रेयस्कर है कि कुछ काल तक उन्हें सहन कर पूर्व जन्मों के कर्मों का भोग समाप्त कर सदेव के लिये मुक्त हो जाओ" I


"जो मुझे प्रेम से पुकारता है उसके सन्मुख मै अवलिम्ब प्रगट हो जाता हूँ" |

Wednesday, June 20, 2012

ॐ साईं श्री साईं ॐ श्री साईं

ॐ साईं श्री साईं ॐ श्री साईं
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श्रद्धा भक्ति नाव बने, बाबा उसे चलाये |
बाबा जी की हो कृपा, भवसागर तर जाय ||
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श्री सच्चिदानंद साई महाराज को साष्टांग नमस्कार करके उनके चरण पकड़ कर हम सब भक्तों के कल्याणार्थ उनसे प्रार्थना करते है कि हे साई । हमारे मन की चंचलता और वासनाओं को दूर करो । हे प्रभु । तुम्हारे श्रीचरणों के अतिरिक्त हममें किसी अन्य वस्तु की लालसा न रहे ।

Thursday, June 14, 2012

Sai Satcharitra Sandesh









श्रीहरि या गुरु के नाम जप से मोक्ष की प्राप्ति होती है ।
 तब फिर भय और चिन्ता को स्थान ही कहाँ रह जाता है ।

Thursday, June 7, 2012

You alone can shape my spiritual destiny.


Baba! With obedience, I offer the flower of my heart to You. Do keep showering the grace of Your abundant compassion on me. The only gift I could offer is the faith I have in You. Please make use of me as a tool in your cosmic play. Protect me always and see that I move care-free under Your control. I pray to You, with total devotion, to bless me do my duties with noble thoughts and in true spirit. It is sufficient if the responsibilities entrusted to me are good and capable of being shouldered by me.

You are the Supreme Bliss that can lead me ever from behind. You alone can shape my spiritual destiny.